|Haryana| फसल विविधीकरण योजना 2024: ऑनलाइन आवेदन फॉर्म व पात्रता

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मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी ने वर्ष 2020 में फसल विविधीकरण योजना की शुरुआत की थी, इस योजना का आरंभ किसानों को अनेकों प्रकार की फसलें उगाने तथा उनकी आय में वृद्धि करने और जल स्तर को भी निर्धारित रखने के लिए किया। सरकार ने किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए यह योजना आरंभ की। 

इस लेख में हम आपको Fasal Vividhikaran Yojana के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तारपूर्वक बताएंगे, जैसे- इस योजना में ऑनलाइन आवेदन और पंजीकरण कैसे करें? इसके लाभ पात्रता और आवश्यक दस्तावेज की जानकारी भी दी जाएगी। इस योजना का लाभ लेने के लिए इस लेख को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें।

Fasal Vividhikaran Yojana

वर्ष 2020 में फसल विविधीकरण योजना की शुरुआत सरकार ने किसानों के लिए कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए की थी।इस योजना के माध्यम से सरकार ने किसानों को धान की खेती छोड़कर दलहन जैसे- उड़द मूंग अरहर आदि की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि धान की खेती में जल की अधिक मात्रा का प्रयोग होता है जिससे भूजल का स्तर बिगड़ रहा था।

धान की फसलों को छोड़कर विविध प्रकार की फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। Fasal Vividhikaran Yojana के अंतर्गत कम पानी और कम लागत वाली फसलों को उगाना होगा। इस प्रकार भूजल के स्तर को निर्धारित रखा जा सकता है, जिससे आने वाले समय में समस्याओं का सामना ना करना पड़े। हरियाणा सरकार ने इसके ऑनलाइन आवेदन के लिए 31 अगस्त तक का समय रखा है।

|Haryana| फसल विविधीकरण योजना: ऑनलाइन आवेदन फॉर्म व पात्रता

फसल विविधीकरण के मुख्य तथ्य

फसल विविधीकरण के मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं:-

योजना का नामहरियाणा फसल विविधीकरण योजना
कब आरंभ हुईसन 2020 में
किसके द्वारा आरंभ हुईमुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी द्वारा
राज्यहरियाणा
उद्देश्यभूजल स्तर को बनाए रखना तथा कम लागत वाली विविध प्रकार की फसलों के लिए प्रोत्साहन
लाभकिसानों की आय में वृद्धि होगी तथा भूजल का स्तर सामान्य बना रहेगा।
लाभार्थीराज्य के किसान
इसके लिए लागू हुईधान की खेती करने वाले किसानों के लिए
श्रेणीराज्य सरकार योजनाएं
आवेदन का प्रकारऑनलाइन आवेदन
आधिकारिक वेबसाइटagriharyana.gov.in

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के उद्देश्य

राज्य सरकार का फसल विविधीकरण योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को धान की खेती से रोककर अन्य प्रकार की वैकल्पिक फसलों के लिए प्रोत्साहित करना एवं हरियाणा के दिन-प्रतिदिन गिरते हुए भूजल के स्तर को नियंत्रित करना है। जिससे आने वाले समय में किसानों को जल से संबंधित समस्याओं का सामना ना करना पड़े।

धान की खेती करने के लिए पानी की बहुत अधिक मात्रा का प्रयोग होता है। 1 किलो चावल उगाने के लिए लगभग 300 लीटर पानी की जरूरत होती है पानी की यह मात्रा बहुत अधिक है, इसी कारण Haryana Crop Diversification Scheme के तहत विविध प्रकार की फसलों जैसे- मक्का, दलहन, कपास, अरंडी, फल एवं सब्जियां आदि कम पानी और कम लागत वाली फसलों को बढ़ावा मिल रहा है।

कितने एकड़ भूमि पर फसल विविधीकरण होगा? 

सरकार द्वारा वर्ष 2020 में फैसला किया गया था कि प्रदेश में लगभग 1 लाख एकड़ भूमि पर धान की खेती की जगह अन्य प्रकार की वैकल्पिक फसलों की खेती की जाएगी, परंतु वर्ष 2021 में हरियाणा सरकार ने फसल विविधीकरण योजना के अंतर्गत प्रदेश में लगभग 2 लाख एकड़ भूमि पर अनेक प्रकार की फसलों की खेती की जाएगी, जिससे किसानों को अत्यधिक लाभ होगा

राष्ट्रीय कार्यान्वयन

फसल विविधीकरण योजना का उद्देश्य एक ही फसल पर निर्भरता को कम करने और कृषि स्थिरता को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती को बढ़ावा देना है। इस योजना का कार्यान्वयन खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने और किसानों की आजीविका में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सरकार फसल विविधीकरण योजना के राष्ट्रीय कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह किसानों को अपनी फसलों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत सहायता, वित्तीय सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह योजना राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है।

फंडिंग और संसाधन

फसल विविधीकरण योजना के कार्यान्वयन में प्रमुख चुनौतियों में से एक पर्याप्त धन और संसाधनों की उपलब्धता है। सरकार इस योजना के लिए बजट आवंटित करती है, लेकिन यह हमेशा सभी किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है। ऋण और वित्तीय संस्थानों तक सीमित पहुंच भी योजना के कार्यान्वयन में बाधा डालती है।

इसके अलावा, योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक और अन्य कृषि आदानों की उपलब्धता महत्वपूर्ण है। किसानों के लिए इन संसाधनों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करना एक चुनौती हो सकती है, खासकर दूरदराज के इलाकों में।

चुनौतियाँ और सीमाएँ

सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद, फसल विविधीकरण योजना के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ और सीमाएँ हैं। कुछ सामान्य चुनौतियों में शामिल हैं:-

  • फसल विविधीकरण के लाभों के बारे में किसानों में जागरूकता का अभाव
  • विविध फसलों के भंडारण और परिवहन के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा
  • पारंपरिक कृषि पद्धतियों को बदलने का विरोध
  • जलवायु परिवर्तन का फसल विविधीकरण पर प्रभाव पड़ता है
  • लाभार्थी की सफलता की कहानियाँ

चुनौतियों के बावजूद, फसल विविधीकरण योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों की सफलता की कई कहानियाँ हैं। अपनी फसलों में विविधता लाकर, इन किसानों ने न केवल अपनी आय में सुधार किया है, बल्कि फसल खराब होने की आशंका भी कम की है। वे नए बाज़ारों में प्रवेश करने और बदलती उपभोक्ता मांगों को पूरा करने में सक्षम हैं।

ऐसी ही एक सफलता की कहानी एक छोटे से गाँव के किसान श्री सिंह की है। उन्होंने अपनी फसलों में विविधता लायी और पारंपरिक फसलों के साथ-साथ सब्जियों की खेती भी शुरू कर दी। इससे उन्हें पूरे साल लगातार आय अर्जित करने और अपने परिवार के पोषण में सुधार करने में मदद मिली।

समान योजनाओं से तुलना

फसल विविधीकरण योजना की तुलना अन्य देशों में लागू की गई समान योजनाओं से की जा सकती है। हालांकि विशिष्ट विवरण भिन्न हो सकते हैं, अंतर्निहित उद्देश्य एक ही है – टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना।

उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में, फसल विविधीकरण योजना विशेष फसलों की खेती और जैविक खेती को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। यूरोप में, सामान्य कृषि नीति पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए किसानों को अपनी फसलों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करती है।

सरकारी सुधार प्रयास

सरकार फसल विविधीकरण योजना के कार्यान्वयन में सुधार की दिशा में लगातार काम कर रही है। यह उच्च उपज देने वाली और जलवायु-लचीली फसल किस्मों को विकसित करने के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश कर रहा है। सरकार किसानों को फसल विविधीकरण और आधुनिक कृषि तकनीकों के लाभों के बारे में शिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी प्रदान कर रही है।

जाचना और परखना

निगरानी और मूल्यांकन फसल विविधीकरण योजना के आवश्यक घटक हैं। सरकार नियमित रूप से योजना की प्रगति का आकलन करती है और उन क्षेत्रों की पहचान करती है जिनमें सुधार की आवश्यकता है। निगरानी से किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान करने और उनके समाधान के लिए सुधारात्मक उपायों को लागू करने में मदद मिलती है।

सार्वजनिक जागरूकता और आउटरीच

योजना की सफलता के लिए फसल विविधीकरण के लाभों के बारे में जन जागरूकता पैदा करना महत्वपूर्ण है। सरकार किसानों को उनकी फसलों में विविधता लाने के फायदों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान, कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाती है। यह योजना के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों के साथ भी सहयोग करता है।

एनजीओ और हितधारक भागीदारी

गैर सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ साझेदारी फसल विविधीकरण योजना के सफल कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गैर सरकारी संगठन किसानों को तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान करते हैं। वे विविध फसलों के लिए संसाधन जुटाने और बाजार संपर्क बनाने में भी मदद करते हैं।

सुधार सुझाव

हालाँकि फसल विविधीकरण योजना ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं, फिर भी सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। योजना की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए कुछ सुझावों में शामिल हैं:-

  • किसानों को निरंतर सहायता प्रदान करने के लिए विस्तार सेवाओं को मजबूत करना
  • किसानों के लिए ऋण और वित्तीय संस्थानों तक पहुंच में सुधार
  • फसल विविधीकरण के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना
  • विविध फसलों के भंडारण और परिवहन के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ाना

किसानों को दी जाने वाली राशि

कृषि विभाग के डायरेक्टर डॉ वजीर सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत चलाई जा रही फसल विविधीकरण योजना का फायदा किसान उठा सकते हैं, किसान अधिक लागत वाली धान की खेती की जगह कम लागत वाली फसल मक्का को उगाने पर हरियाणा सरकार की ओर से 2400 रुपए प्रति एकड़ की राशि प्रदान की जाएगी, जबकि दलहन जैसे- मूंग उड़द अरहर आदि फसलों को उगाने पर 3600 रुपए प्रति एकड़ की राशि प्रदान की जाएगी।

इसके अलावा यदि कोई किसान अपने खेत में हर साल कृषि उगाता है और वह किसी कारण इस साल किसी कारण कृषि नहीं उगाई तब भी वह पंजीकृत करवा कर 7000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकता है। किसानों को धान की खेती छोड़ने पर 7000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, तथा अन्य फसलों की खेती पर अनुदान प्रदान किया जाएगा।

Benefits Of Crop Diversification Scheme 

इस योजना के लाभ निम्नलिखित है:-

  • राज्य में दिन-प्रतिदिन जल संबंधित समस्याएं बढ़ रही है Crop Diversification Scheme के द्वारा इन समस्याओं पर रोक लग सकती है।
  • हरियाणा सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि मिलने पर किसानों की आय में वृद्धि होगी।
  • जल का नियंत्रण बना रहेगा तथा आने वाले समय में जल के संबंधित समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
  • विविध प्रकार की फसलों जैसे- मूंग, उड़द, अरहर की मात्रा में वृद्धि होगी।
  • फसल विविधीकरण योजना के अंतर्गत मक्का, दहन, कपास, अरंडी, मूंगफली, फल और सब्जियों आदि फसलों की खेती करने पर 7000 रुपए प्रति एकड़ धन राशि किसानों को प्रदान की जाएगी।
  • मक्का की खेती करने पर 2400 रुपए प्रति एकड़ तथा दलहन की खेती करने पर 3600 रुपए प्रति एकड़ की राशि किसानों को प्रदान की जाएगी।
  • यह अनुदान राशि केवल 5 एकड़ भूमि तक ही प्रदान की जाएगी।

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना की विशेषताएं

इस योजना की कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं :-

  • राज्य सरकार द्वारा फसल विविधीकरण योजना का सन 2020 को आरंभ किया गया।
  • इस योजना का आरंभ मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी द्वारा किया गया।
  • विभाग के अलावा और कंपनियां भी इस योजना में मदद के लिए शामिल होंगी।
  • राज्य में विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती के कारण भूमि की उर्वरता शक्ति में वृद्धि होगी।
  • Fasal Vividhikaran Scheme के तहत किसानों की आय में वृद्धि होगी तथा जल का स्तर भी सामान्य रहेगा।
  • गेहूं तथा धान की खेती के बदले अन्य प्रकार की वैकल्पिक फसलों को उगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
  • आने वाले समय में जल की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा तथा जल का स्तर सामान्य रहेगा।

आवेदन के लिए पात्रता 

आवेदन करने के लिए निम्नलिखित पात्रता का होना अनिवार्य है:- 

  • आवेदक हरियाणा राज्य का निवासी होना चाहिए।
  • आवेदक का बैंक में खाता होना अनिवार्य है।
  • बैंक का खाता आधार कार्ड से लिंक होना चाहिए।
  • किसान को पिछले वर्ष की खेती की सामग्री से ही 50% भाग से ही अनेक प्रकार की फसलों की बुवाई करनी होगी।

आवेदक के लिए जरूरी दस्तावेज

जो किसान इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं उनके लिए जरूरी दस्तावेज निम्नलिखित है:-

  • पहचान पत्र
  • निवास प्रमाण पत्र
  • आधार कार्ड
  • बैंक पासबुक 
  • मोबाइल नंबर
  • पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
  • भूमि के दस्तावेज जो कृषि योग्य हो 

ऑनलाइन आवेदन / पंजीकरण करने की प्रक्रिया

इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन / पंजीकरण करने की प्रक्रिया निम्नलिखित है:-

  • सबसे पहले आवेदक को कृषि विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाना होगा।
  • अब आपके सामने होम पेज आ जाएगा।
ऑनलाइन आवेदन / पंजीकरण करने की प्रक्रिया
  • इस पेज पर आपको ‘ फसल विविधीकरण के लिए पंजीकरण करें’ पर क्लिक करना होगा।
  • अब आपके सामने रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुलकर आएगा ।
  • इस फोन में आधार नंबर और अन्य जानकारी देनी होगी और इसके अगले भाग में आवेदक को अपनी संपूर्ण जानकारी देनी होगी।
  • अब आवेदक को भूमि से संबंधित और फिर से संबंधित जानकारी देनी होगी।
  • अब Submit के बटन पर क्लिक करना है।
  • आपका आवेदन/ पंजीकरण संपूर्ण हो चुका है।

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